Yogini Ekadashi ka vrat bahut hi labh dayak hota hai. Is vrat ko karne se aapke sab rog dur hote hai. Aur Yogini ekadashi vrat karne aur Yogini Ekadashi Vrat Katha sunane par aapko 88000 brahmano ko bhojan karane ka labh bhi prapat hota hai.

Yogini Ekadashi Kab Hai-

Yogini Ekadashi June Month ki 21 Tarikh ko hai. Hindu Panchang ke anusar Yogini Ekadashi 21 June ko subah 08 bajkar 118 minute se shuru ho rahi hai. Aur 22 june ko subah 04 bajkar 27 minute par khatam hogi. Esliye yah vrat 21 June ko kiya jayga.

Yogini Ekadashi Ki Puja Vidhi-

Jo bhi vyakti is vrat ko pure man aur lagan ke sath aur niyamo ka palan karta hai. Usko iska Fal jarur milta hai. To Aaiye Yogini Ekadashi ki puja vidhi ke bare mai jante hai.

1- Yogini Ekadashi ke din aapko subah jaldi uth kar Nahana hai.

2- Shree Hari ke samne Hath mai Jal lekar vrat karne ka Sankalp lena hai.

3- Bhagavan Vishnu ki pratima banani hai ya fir market se lakar murti sthapit kare.

4- Bhagavan Vishnu ko Fruits, Flower, Panchamfrat, Panjiri aur Tulasi Dal se puja karke bhog lagaye.

5- Om Namoh Bhagvate – Mantra ka 108 times Jaap karna hai.

6- Uske bad Yogini Ekadashi Vrat ki katha sune.

7- Last mei Bhagwan Vishnu ki Arti kare.

8- Agale din vrat ki samapti Bhagavan ke prasad ke sath kare.

Yogini Ekadashi Vrat Ki Katha Hindi Me-

पुराणों के अनुसार, एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा:
“हे मधुसूदन! आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है, उसकी विधि क्या है और उसका फल क्या है?”

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा:

“हे राजन्! इस एकादशी का नाम योगिनी एकादशी Yogini Ekadashi है। यह व्रत समस्त पापों का नाश करने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला है। इस व्रत के पुण्य से मनुष्य 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल प्राप्त करता है।”

एक प्राचीन कथा:

अलकापुरी नामक नगर में कुबेर नामक एक राजा राज्य करता था। वह भगवान शिव का परम भक्त था। उनके उद्यान का रखवाला हेममाली नामक एक यक्ष था। उसका कार्य प्रतिदिन मानसरोवर से जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करना था।

हेममाली अपनी स्त्री विशालाक्षी से अत्यधिक प्रेम करता था और एक दिन वह स्त्री के प्रेम में लिप्त होकर अपने कर्तव्य को भूल गया। इसके कारण राजा कुबेर को अत्यधिक क्रोध आया और उन्होंने उसे शाप दिया:
“हे दुष्ट! तू अपने कर्तव्य से विमुख हुआ है, अतः जा – रोगी होकर धरती पर मनुष्य योनि में जन्म ले।”

शाप के कारण हेममाली धरती पर आकर दरिद्र, कुष्ठ रोगी और पीड़ित हुआ। वह जंगलों में भटकता रहा। एक दिन वह ऋषि मार्कण्डेय के आश्रम में पहुंचा और अपनी व्यथा सुनाई।

वह ऋषि अत्यन्त वृद्ध तपस्वी थे। वह दूसरे ब्रह्मा के समान प्रतीत हो रहे थे और उनका वह आश्रम ब्रह्मा की सभा के समान शोभा दे रहा था। ऋषि को देखकर हेममाली वहाँ गया और उन्हें प्रणाम करके उनके चरणों में गिर पड़ा।

हेममाली को देखकर मार्कण्डेय ऋषि ने कहा: तूने कौन-से निकृष्ट कर्म किये हैं, जिससे तू कोढ़ी हुआ और भयानक कष्ट भोग रहा है।

महर्षि की बात सुनकर हेममाली बोला: हे मुनिश्रेष्ठ! मैं राजा कुबेर का अनुचर था। मेरा नाम हेममाली है। मैं प्रतिदिन मानसरोवर से फूल लाकर शिव पूजा के समय कुबेर को दिया करता था। एक दिन पत्नी सहवास के सुख में फँस जाने के कारण मुझे समय का ज्ञान ही नहीं रहा और दोपहर तक पुष्प न पहुँचा सका। 

तब उन्होंने मुझे शाप श्राप दिया कि तू अपनी स्त्री का वियोग और मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी बनकर दुख भोग। इस कारण मैं कोढ़ी हो गया हूँ तथा पृथ्वी पर आकर भयंकर कष्ट भोग रहा हूँ, अतः कृपा करके आप कोई ऐसा उपाय बतलाये, जिससे मेरी मुक्ति हो।

मार्कण्डेय ऋषि ने कहा: हे हेममाली! तूने मेरे सम्मुख सत्य वचन कहे हैं, इसलिए मैं तेरे उद्धार के लिए एक व्रत बताता हूँ। यदि तू आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की योगिनी Yogini Ekadashi एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करेगा तो तू तेरे सभी पापो से मुक्त हो जायगा।

महर्षि ऋषि के वचन सुन हेममाली बहुत खुश हुआ और उनके कहे वचनों के अनुसार योगिनी एकादशी Yogini Ekadashi का पूरी श्रद्धा और मन से व्रत करने लगा। इस व्रत के प्रभाव से वह थोड़े समय के बाद अपने पुराने स्वरूप में आ गया और अपनी स्त्री के साथ ख़ुशी ख़ुशी जीवन व्यतीत करने लगा।

By Bhavana Sharma

Bhavana Sharma is an expert SEO team lead with a deep understanding of SEO, local SEO, and content optimization. With years of experience, she crafts SEO strategies that enhance search engine visibility and drive targeted traffic.

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